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बाहर काम अंदर आराम || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-23 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१२ अक्टूबर २०१४<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />श्रम से ही सब कुछ होत है, बिन श्रम मिले कुछ नाहीं।<br />सीधे उॅगली घी जमो, कबसू निकसे नाहीं।। (संत कबीर)<br /><br />प्रसंग:<br />क्या श्रम किये बिना भौतिक जगत में कुछ पाया जा सकता है?<br />जो कभी परवर्तित नहीं होता क्या उसे श्रम से पाया जा सकता है?<br />बाहर काम अंदर आराम इससे हमारा क्या आशय है?

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